- रवि मीणा
१.
१.
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मैं हीरा हूँ ,अंधेरों में चमकना भूल ना पाया ,
जिया हूँ अन्धी ही खदानों में,रवि जहाँ पहुँच ना पाया।
मुझको नही परवाह चमकने की,उजाले और सूरज की,
मगर गम है, अंधेरों में,किसी को भूल आया हूँ।
मैं हीरा हूँ ,अंधेरों में चमकना भूल ना पाया ,
जिया हूँ अन्धी ही खदानों में,रवि जहाँ पहुँच ना पाया।
मुझको नही परवाह चमकने की,उजाले और सूरज की,
मगर गम है, अंधेरों में,किसी को भूल आया हूँ।
२.
जरा सहमे हो तुम भी ,जरा सहमे हैं हम भी,
जरा बदले हो तुम भी जरा बदले हैं हम भी।
खैर क्या करे अब फालतू किस्सों को ताजा,
यूँ तो ना बदले हो तुम भी, ना बदले हैं हम भी।
जरा सहमे हो तुम भी ,जरा सहमे हैं हम भी,
जरा बदले हो तुम भी जरा बदले हैं हम भी।
खैर क्या करे अब फालतू किस्सों को ताजा,
यूँ तो ना बदले हो तुम भी, ना बदले हैं हम भी।
३.
कोई रंगत ही देखे तो कोई संगत को तरसे है,
कोई अपनापन ढूंढे, तो कोई गैरत से परखे है,
कैसे भी परख लो जिन्दादिली इस दिल की तुम यारों,
यह तो हर परख में मोहब्बत ही को तरसे है।
कोई रंगत ही देखे तो कोई संगत को तरसे है,
कोई अपनापन ढूंढे, तो कोई गैरत से परखे है,
कैसे भी परख लो जिन्दादिली इस दिल की तुम यारों,
यह तो हर परख में मोहब्बत ही को तरसे है।
४.
कोई जब मौत से तड़पे तो वारिस याद आती है,
मुझको कुछ नही मालूम तेरे बारे में हे मौला,
लेकिन दुखदर्द आये तो तेरी ही याद आती है।
( लेखक जन-अभियांत्रिकी में द्वितीय वर्ष के छात्र हैं )
6.
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