सोमवार, 30 सितंबर 2013

हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं

विनय कुमार शुक्ल


कहते है लोग अक्सर मत हो तुम परेशान कभी
हर चीज को तुम हल्के में लो सभी
अगर हर चीज को हल्के में ले पाता कोई
तो दुनिया में गम को ढूँढ पाता कोई
सुख दुःख तो जीवन की कथा है
इसी में हम सबकी व्यथा है
खुशी कौन इस जहाँ में नहीं है चाहता ?
पर हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं|

चाहत तो होती है सभी की यही
हो जाये चाहत अपनी सदा के लिए
हो जाती है चाहत यूँ कभी कभी पूरी
पर हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं ,
पर हर चाहत हो जाये पूरी ये जरुरी तो नहीं |

( लेखक  भौतिक विज्ञान विभाग में शोध छात्र हैं )

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