शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

किरदार - नज़्म



लेखन एवं आवाज़ - निशांत सिंह
सम्पादन, निर्देशन एवं विशेष सहयोग - श्री ओम प्रकाश शर्मा जी 

मित्रों , किरदार एक कहानी-श्रृंखला है | खुद के अन्दर हम सभी न जाने कितने किरदार समेटे हुए हैं जो आपस में लुका छिपी खेलते रहते हैं | कभी हमारे ही भीतर का कोई किरदार हमें बुद्धिजीवी मानता हैं और फिर हमारे ही भीतर का कोई दूसरा किरदार कई विषयों को बौद्धिक चर्चा के दायरे में लाने से संकोच कर जाता है | विश्वास और तर्क की इन लड़ाइयों में हम अक्सर इस प्रश्न पर आकर अटक जाते हैं कि कौन-सा पक्ष उपयुक्त है | दार्शनिक प्रश्नों के समाधान खोजती ऐसी ही एक यात्रा है 'किरदार' | 

इन कहानियों के किरदार इन प्रश्नों में उलझते , उनकी लहरों में तैरते-उतराते अंत में सच को ढूंढते हुए वे अपने सामने आईना रखा हुआ पाते हैं | अब इसके आगे लेखक कुछ नहीं निर्णय करना चाहता -कि क्या जो कुछ आईने में दिख रहा है उसे सच कहा जाये या नहीं ! वो तो श्रोताओं और पाठकों की समझ को कम आँकना होगा |

उम्मीद है कि आप इस श्रृंखला को उत्साह से सुनेंगे और पसंद भी करेंगे और एक नए कहानीबाज को अपनी समीक्षाएं भी समय समय पर देते रहेंगे | जल्द ही आपके लिए प्रस्तुत करेंगे पहली कहानी, धन्यवाद !

सम्पादन, निर्देशन एवं विशेष सहयोग - श्री ओम प्रकाश शर्मा जी 
श्री ओम प्रकाश जी विविध भारती कानपुर में वरिष्ठ कार्यक्रम-प्रस्तोता है और पिछले कई वर्षों से आई आई टी कानपुर के रेडियो ९०.४ को अपनी सेवाओं से लाभान्वित करते रहे हैं |

धन्यवाद - श्रीमती वत्सला जी , श्री अमित त्रिपाठी जी , श्री देव जी एवं समस्त ९०.४ रेडियो टीम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें