सोमवार, 11 अगस्त 2014

इधर, उधर, किधर ?

 - आयुष्मान




















( चित्र www.wordsofmah.com से साभार )

 
वो शायद है,
बहुत परेशान रहता है
जाने क्या ढूंढा करता है
उसकी माँ उसे रोज़ गालियाँ देती है
और बाप उससे बात नहीं करता
उसके दोस्त बड़ा आदमी बनना चाहते हैं
बहुत मेहनत करते हैं
बड़े लोग अच्छे होते हैं
पढ़ते लिखते हैं कुछ बनते हैं
मेहनत से कमा कर बच्चों को लायक बनाते हैं
उनके बच्चे भी अच्छे होते हैं
पढ़ते हैं लिखते हैं कुछ बनते हैं
पर वो कुछ नहीं करता
मैं अब कभी उसके मुंह नहीं लगता
पागलों जैसी बातें करता है
कहता है मैं नहीं हूँ
कहता है कि गांठें नहीं खुलेंगी
उलझते जाओगे
तुम भटक गए हो
पर मैं उसकी बातों पर ध्यान नहीं देता
मैं कहाँ भटका हूँ?
मैंने तो सब सोच रखा है
पहले यहाँ,
फिर वहाँ ,
फिर 'वहाँ ',
अब कहाँ?

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