रविवार, 10 अगस्त 2014

प्याज

- आयुष्मान 


  












( चित्र commons.wikimedia.org से साभार)


ज़िन्दगी क्या प्याज है
छोटी-बड़ी , कम परतें ज़्यादा परतें ,
छीलते जाते हैं , छीलते जाते हैं ,
अन्दर कुछ नहीं होता ,
कुछ नहीं बचता ,
बस! कुछ आंसू ,कुछ परतें......

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